जिन्दगी खूब सूरत संगीत है। इसकी तो हर एक साँस में गीत है।। तराने हैं सुख दुख के पल पल ही- संघर्ष ही इसका सच्चा मीत है ।।
सबकी अपनी ही पसंद, सबके अपने हैं शौक। पागल पन सर पर चढ़ा, रोक सके तो इसे रोक।। इसका जुनून ऐसा है, दिखता सब कुछ बेकार- पूरा करने शौक सभी- सब देते अपना झौक।।
तुझे दी कभी बददुआ नहीं। प्यार तेरे शिवा किसी से हुआ नहीं ।। और ये तन तेरी अमानत है यार- ये सोच कभी खुद भी इसे छुआ नहीं।।
परियों की भी एक नगरी हो। जिधर भी हमारी डगरी हो।। लगे जहाँ भी वो जादू सा- झिलमिल तारों की पगड़ी हो।। श्रद्धान्जलि शुक्ला
आकर मेरी बाहों में वो खोने लगे हैं। शायद वो आज मीत मेरे होने लगे हैं।। कल तक आँसू बहाते थे हम उनके लिए- आज वो पनाह में आकर रोने लगे हैं ।।