तुम बहती हुई नदी सी, मैं ठहरा हुआ समंदर सा, तुम्हें आते हुए देख ये लहरें उछलने लगती हैं । Birendra ✍️📚🕊️
कितनी रागिनियां है बाजारों में जहां उमड़ती है भीड़ बाजारों में घर से लेकर बाजारों तक सज गए हैं अंबर से लेकर चौराहों तक चेहरे में मुस्कान नन्हें से हाथों में फुलझड़ी की कमान happy Diwali 🪔🎇 Birendra lodhi
जिंदगी में थोड़ा वक्त उन्हें भी दिजिए, जो तुम्हें सच्चे दिल से चाहते है शायद रिश्तों की उम्र लंबी हो जाए।। Birendra lodhi
निकले हैं जो तेरी जुस्तुजू में ओ मुसाफिर, जिस दिन मिलेंगे अंदाज़-ए-गुफ़्तुगू बोहत ख़ुशनुमा होगा। Birendra lodhi