Vandana Bhatnagar
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वक्त कभी किसी के लिए रूका ही नहीं जो चला संग वक्त के परेशां वो हुआ ही नहीं

रह आओ चाहे कहीं भी कितने ही आराम से भाता है अपना ही घर वो महल हो या झोंपड़

जिस घर में ,रहने वालों के बीच एक-दूसरे के लिए प्यार व सम्मान नहीं बल्कि ईर्ष्या व द्वेष है वो घर,घर नहीं कलह का अड्डा है

मेरे जीवन का आधार हैं पापा खुशियों का दूसरा नाम हैं पापा हिमालय सा रक्षा-कवच हैं पापा जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा हैं पापा मेरे लिए मेरी पूरी दुनिया हैं पापा

तेरी बेवफ़ाई का मुझपर ये असर हुआ दिल मोम सा था जो वो पत्थर का हुआ

साथ हो तुम तो धड़कता है दिल मेरा............ कहते ही अलविदा तुमको थम जायेगा दिल मेरा

बीती जो संग अपनो के प्यार से बस वही ज़िंन्दगानी है


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