आज मुद्दतों बाद सुकून आया है
लगता है मौत का पैगाम आया है।
किरदार मेरा मुझ ही में उलझा है
मैं किसी की कहानी का किरदार कैसे बनूँ।
हार से हार मान लेना
कहाँ का सलीका है
हार से सीखो, फिर से आगे बढ़ो
जीतने का सबसे बेहतर तरीका है।
जब जब मन में सैलाब आता है
आंखों से बादल बरस जाता है।
अस्तित्व की इस लड़ाई में
एक संघर्ष दायित्व का भी है।
कौन समझता है किसी को कोई यहां
झूठे दिलासे, कोरा सा अपनापन
मिलता है मुफ्त में यहां।
एक तरफ ये शोर जिम्मेबारियों का
और एक तरह बेरोजगारी मेरी।
ज़िन्दगी के बहुत से इम्तिहान बाकी हैं
अभी तो बस चलना सीखा है
नापने को पूरी कायनात बाकी है।
गिरूंगा सीखूंगा उठूंगा
अभी सीखने को पूरा संसार बाकी है।
शून्य से शुरू हुई यात्रा को
निष्ठा, भाव, समर्पण, ज्ञान,
उत्तरदायित्व, ईमानदारी, अखण्डता
से भरने के लिये माता पिता, गुरुजन
और उन सब का नमन
जो जाने अनजाने में बहुत कुछ सीखा गये।
Happy Teachers Day.