अनुभव ही सृजन की जननी है।
जागो, उठो, चलो, दौड़ो रूकने का क्या काम है ? रूका हुआ और ठहरा पानी सड़ गया, वो व्यर्थ है। - विजयानंद विजय
जागो, उठो, चलो, दौड़ो रूकने का क्या काम है ? रूका हुआ और ठहरा पानी सड़ गया, वो व्यर्थ है।