गुनाहों का कारोबां सरताज हुए बैठा है,
कि शहर का हाल श्रापित हुए बैठा है..!!
~हिमांश
ख्वाइशों की चादर तान रात बिस्तर पर ठहराती है,
दिन भर की थकान को वो रात का ख़्वाब बताती है..!!
खामोशियों से ही मद्धम मद्धम चलता रह ए हिमांश,
ख्वाहिशें एक रोज़ अपना परचम लहरा ही देंगी..!!
~हिमांश