इतने करीब से मिलते हैं वो मुझसे ,
उनकी सांसों से मेरी सांसें बदल जाती हैं।
............ अखिलेश
सियासत में बेफरेब .....!
आप भी कहां काजल में आंखें ढूंढ़ने चले हैं साहब ।।
अखिलेश
दरिया होने का
जुनून था... l
कुछ बूंदों ने
अपनी ख्वाहिशें
कत्ल कर दीं ll
अखिलेश
तमाम भरोसे कत्ल कर दिए शहर की बेरुखी ने।
आज बेटों के पांव में छाले देख गांव रोये बहुत हैं।।
अखिलेश