इतने गौर से न देख मुझे, मैं तेरे आंखों में दिखता हूं,
आंखो से आंसू निकले थे तेरे, शायद मैं भी रोया हूं।
- Vinod Mohabe
न स्वर्ग, न आसमा चाहिए
सकून भरी जिंदगी में एक यार चाहिए।
असफलता भले मिले जीवन में, होता नहीं कभी निराश,
रहता हैं लक्ष्य निश्चित, उसी के होते हैं सपने साकार ।
- Vinod Mohabe
भोबड़ी सी जबां मे हैं तेरा ही नाम मैना,
बढ़ रही हैं उम्र, छल छल नीर छलकाते है नैना ।
- Vinod Mohabe
ख़्वाब टूटने लगे, दर्पण भी टूटने लगे,
संभल जा इंसान ज़िंदगी नर्क होने लगा हैं....
- Vinod Mohabe
आदमी को देखो कैसे घृणता करता है आदमी
आदमी के ही काम आता है आदमी।
भूख क्या होती हैं एक गरीब से पूछिए,
भूख का दर्द करवा चौथ रखें पतिव्रता से पूछिए...!
- Vinod Mohabe
आयने में उतरती हैं हमारी तस्वीर
और हम नकली नकाब लिए चलते हैं।
- Vinod Mohabe
शिकवा करू तो किससे करू ' ए मोहब्बत'
मुझे किसी ने धोका दिया ही नहीं।
-Vinod Mohabe