. “आग की तरह बनो—
खामोश रहो,
लेकिन वक्त आने पर सब बदल दो।”
. “आग की तरह बनो—
खामोश रहो,
लेकिन वक्त आने पर सब बदल दो।”
आग सिखाती है कि
हद से बाहर जाओगे तो सब राख हो जाएगा।”
“आग की फितरत है जलाना,
वो भेद नहीं करती कि सामने कौन है।”
आग कभी झूठ नहीं बोलती,
जिसे भी छूती है, उसका असली रूप दिखा देती है।
आग को जलने के लिए हर बार खुद को मिटाना पड़ता है, यह वह सत्य है जो हर रोशनी में भी नजर आता है। वह अपनी गर्मी से दुनिया को तो देती है जीवन, मगर कहां कोई बूझकर भी उस राख को छू पाता है।