नाम :- वैष्णो खत्री 'वेदिका' शैक्षिक योग्यता :- एम ए- (हिंदी साहित्य, समाज शास्त्र), बी एड. सम्प्रति :- सेवा निवृत शिक्षिका केन्द्रीय विद्यालय छिंदवाड़ा। अभिरुचि :- काव्य, गद्य सृजन एवं पठन, कार ड्राइव एवं कम्प्यूटर । ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ लेखन विधा-कविता, आलेख, लघु कथा, कहानी और गीत... Read more
Share with friendsतुम बिन स्वाद घटने लगा है, सब कुछ फीका लगने लगा है, चने और राजमा स्वाद है भूले, रोटी, चावल भी शोर मचाए। ए मेरी मिर्ची! इतना ना सताओ। आकर थाली का स्वाद बढ़ाओ।
तुम बिन स्वाद घटने लगा है, सब कुछ फीका लगने लगा है, चने और राजमा स्वाद है भूले, रोटी, चावल भी शोर मचाए। ए मेरी मिर्ची! इतना ना सताओ। आकर थाली का स्वाद बढ़ाओ।
आलसाई आँखों में, जान डाले मेरे यारो। यही है फ़क़त चाय, प्याली मेरे प्यारो। चाहत यही मेरे ओठों से, लग जाती चाय। जीभ जलाकर भी, अपार सुख देती चाय।
जीवन जीने की कला सिखाते हैं ये बच्चे आनन्द और चंचलता से भरपूर हैं ये बच्चे भारत को उच्च शिखर पे पहुँचाते ये बच्चे सही दिशा मिल जाए तो, तो विश्व को बदलते ये बच्चे ।
भरी जेब न आए मज़ा खरीदी का। ना ढूँढने ना अच्छे से परखने का। बढ़ जाती है खरीददारी की इच्छा। जब ज़ेब खाली या फ़टी होती है। वैष्णो खत्री
25 बिन फेरे हम तेरे तेरी यादों के सहारे हम निज जीवन गुज़ार देंगे। इस जन्म न सही अगले जन्म तुम्हें पुकार लेंगे। मैं कभी तुमसे इज़हार एवं इक़रार कर न सका। दिल में गहरे बसे हो फेरे का ख्याल आ न सका। वैष्णो खत्री
श्राद्ध जीते जी माँ की सारी इच्छाओं का दमन कर देंगे। उन पर कर भीषण अत्याचार मरणासन्न कर देंगें। अभी खाना, वसन देने की आवश्यकता ही क्या? मरणोपरांत सम्पत्ति में से हिस्सा श्राद्ध में दे देंगे। वैष्णो खत्री