जीवन मे रुकना था। बस मां के साथ बचपन मे पर समय ने अपनी करवट ली ओर में बड़ा हुआ अब अकेले ही आगे बड़ रहा हूं। ओर मां बस हू पीछए रह गई मेरे मां
एक पकड़ो तो दूसरा छूट जाता है एक पकड़ो तो दूसरा छूट जाता है सपना पकड़ो तो कमबख्त नौकरी छूट जाती है और साला नौकरी पकड़ो कमबख्त परिवार छूट जाता है और साला परिवार पकड़ो साली जिंदगी छूट जाती है
ये कीमत ये जीवन की जो चुकाई है रो रो कर भूल कर सपने की उड़ान बाद में याद कर रोता राहा में बस अकेला ही में ना दोस्त ना दुश्मन है बस अकेला हु ये कहानी ये मेरी जो शब्दो में कम पड़ गया है आज