मैंने जो कुछ भी चाहा
वो हासिल हो गया वो जगह थीं ...............मेरे पापा का घर
खोजते रह जाते हैं हम खुद को खुद में
खुद को खुद में हम अक्सर नहीं मिलते
अपने मन की किताब खोलकर
कभी अपना भी मन पढ़ो ना
मन की ब्याकुलता को
थोड़ा सा सुकून दो ना
हिन्दी में है वो बात
जो समझें जज़्बात
तुम में बसी है जान
तुम ही हो अपनी पहचान
तुमसें ही भरी आत्मीयता
तुमसे ही अपना गहरा नाता
निखारेगें तुमसें अपना व्यक्तित्व
तुम से ही अपना अस्तित्व
शब्दों से मिलती है खुशी
शब्दों से ही मिलता गम
शब्द ही देती है पीड़ा
और कभी लगाती मरहम
शब्दों से मिलती है खुशी
शब्दों से ही मिलता गम
शब्द ही देती है पीड़ा
और कभी लगाती मरहम
जिंदगी में हमें बहुत कुछ मिला
पर उसे कभी सराहा ना हमनें
पर जो हासिल ना हो पाया
उसी को सिर्फ दोहराया हमनें
जिंदगी में हमें बहुत कुछ मिला
पर उसे कभी सराहा ना हमनें
पर जो हासिल ना हो पाया
उसी को सिर्फ दोहराया हमनें
कुछ गलत पुरुषों के कारण सारें पुरुष और कुछ ग़लत महिलाओं के कारण सारी महिलाएं बदनाम हो जाती और हैं