@anupm-mishr-sudrshii

अनुपम मिश्र 'सुदर्शी'
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कवि एवं साहित्यकार

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"यो हि सत्यब्राह्मणः स प्रेम्णि नूनम् एकनिष्ठः भवति।" -अनुपम मिश्र 'सुदर्शी'

"यो हि सत्यब्राह्मणः स प्रेम्णि नूनम् एकनिष्ठः भवति।" -अनुपम मिश्र 'सुदर्शी'

जिस तरह यज्ञोपवीत को धारण करने पर मनुष्य को द्विजत्व प्राप्त होता है, ठीक उसी प्रकार से नारी, शिक्षा और संस्कार के माध्यम एक पितृसत्तात्मक समाज में असहाय अबला से शक्ति स्वरूपा सशक्त और सबला बनती है। - अनुपम मिश्र सुदर्शी

सभ्यता की सुरक्षा का मार्ग भी कुटिलता से ही बना है, अतएव शांतिदूत के साथ साथ तुम्हे एक कुटिल धर्म योद्धा बनना होगा।

कर्म से फल की निष्पत्ति की आशा छोड़कर जब कुकर्म से फल प्राप्त करने की अभिलाषा हेतु कोई अन्याय करे तो कांड करो, कांड से अधर्म को समूल भक्षण करने की क्रिया को ही कर्म काण्ड कहते हैं।


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