जिस तरह यज्ञोपवीत को धारण करने पर मनुष्य को द्विजत्व प्राप्त होता है, ठीक उसी प्रकार से नारी, शिक्षा और संस्कार के माध्यम एक पितृसत्तात्मक समाज में असहाय अबला से शक्ति स्वरूपा सशक्त और सबला बनती है। - अनुपम मिश्र सुदर्शी
सभ्यता की सुरक्षा का मार्ग भी कुटिलता से ही बना है, अतएव शांतिदूत के साथ साथ तुम्हे एक कुटिल धर्म योद्धा बनना होगा।