दिल से लिखती हूँ।
जो दिखाई दे, उन्हें यकीन उसी पर होता है , पर साज़िशें नज़र कहाँ आती हैं ? वो तो समझी जाती है।।
माथे की शिकन देख़ने को वो तरसेगा गर हर गम पर मुस्कुराना आ गया।।