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Share with friendsरोटी की लड़ाई महज़ब से ज़्यादा बड़ी है जन्नत का पता नहीं ज़िंदगी इसी से मिलती है | अभिलाष दीक्षित ❣️
बारिश की बूँदो ने और मिट्टी की ख़ुशबू ने मुझको यह महसूस करा दिया , कुछ चीज़ों के संगम में ही सुकून होता है । अभिलाष दीक्षित ❣️
रेल और ज़िंदगी के सफ़र में ज़्यादा फ़र्क़ नहीं हर वक़्त के साथ नज़ारा बदलता है पर शर्त है तुम अपनी आँखे खुली रखना । अभिलाष दीक्षित ❣️