Anshita Dubey
Literary Colonel
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19 दिसंबर को गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में जन्मी,वर्तमान में लंदन में रहती हूँ। जेनेटिक इंजीनियरिंग में बि.टेक बायो टेक्नोलॉजी प्रयागराज,उत्तर प्रदेश ,क्लीनिकल ट्रायल, क्रैनफील्ड यूनिवर्सिटी से एम.एस करने के साथ-साथ कुंडलिनी एवं मेडिटेशन में स्नातकोत्तर की उपाधि भी अर्जित की है।आर.पी.एम... Read more

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मेरा शहर तुम्हारे शहर से जुदा निकला, अब एक खामोश बस्ती में आशियाना बना लिया। अंशिता

मुझे अंधेरे की तलब़ है, क्योंकि ऊजाले अक्सर भ्रमित करते हैं। अंशिता

सफ़र से मंज़िल तक का शतरंज इंसान बखूबी खेलता है, मंज़िल के गतंव्य पर, फ़िर सफ़र क्यों बेवफ़ा बोलता है ? अंशिता

सुर्ख़ आँखों का बस इतना सा शबब है, कभी यादों से रिहाई न मिली, तो कभी ख़्वाब अधूरे, कभी बरसात की हद्द, तो कभी बेरहम नींद से जुदाई। अंशिता

खामोशियां कितनी शांत,अर्थपूर्ण, भीतर मन के आसमां में पनाह लिये बैठी, हर दिन खूबसूरत अभिनय करती, चेहरे के रंग में जा मिलती। अंशिता

मेरी ज़िंदगी में तुम्हारी अहमियत बस इतनी है, कि तुम्हारा जाना मेरी ख़्वाहिशों का मर जाना। अंशिता

अग्निपरिक्षा परिक्षा देना आसान नहीं स्त्रियां बचपन से दे रही और उम्र के आखिरी पड़ाव तक देगीं काश अस्थियों के राख से अग्निपरिक्षा का सूबूत सामाज को तृप्त कर पाये ! 'अंशिता दुबे'

कहानी कहानी न मेरी,न तुम्हारी थी, छूट गयी थी सफ़र की आंधी में, निकल गयी थी वक्त से आगे, समेट कर लिखूगीं अब हमारी। 'अंशिता'

सुबह की चंचल किरण बन चेहरे पर नूर बरसाना बस एक आहट लेकर ऐसे प्रियतम तुम आना। अंशिता


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