Sarita Dubay
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# चाहत हर चाहत पूरी हो ये चाहत हर कोई लिए बैठा हैं, नासमझ ये भी नहीं समझते चाहत नाम ही उसके लिए मुक्कमल हैं, जो पूरी हो नहीं पाती।।।

# चाहत हर चाहत पूरी हो ये चाहत हर कोई लिए बैठा हैं, नासमझ ये भी नहीं समझते चाहत शब्द ही उसके लिए मुक्कमल हैं, जो पूरी हो नहीं पाती।।।

मोहब्बत का मुक्कमल सिला मिलता हैं कुछ यूं जो इज़हार के हर अदाओं पे फिदा हुआ करते हैं, इश्क़ का सुरुर उतरते ही हुज़ूर महफ़िल में रेहफ्ता करार करते हैं।


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