Karan Ahirwar
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An Engineer with the power of words A published poet of the anthologies titled "NAAYAB PANNE" and "THE UNPREDICTABLE LIFE." email - karanahirwar635@gmail.com Instagram - karanahirwarr

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प्रेम के रस में डूबकर खुदको तर बतर किया है तुम दुनिया तर कर आओ तुमसे मिलने का मन किया है

खूबसूरत चेहरे की तलाश में घूमे दर बदर आइना कभी देखा नही और पूछे किधर किधर

क्रोध के घूंट पिए जायेंगे जब लालच से सुख दूर जायेंगे

नींद अब जाए भाड़ मे पूरे करने मुझे अपने ख्वाब है

सांसे............... तुझसे ही चले मेरी सांसे आंखे............. तुझको ही ढूंढे मेरी आंखे

तुझसे नजदकियों की गुज़ारिशो ने तुझसे दूर कर दिया मिट्टी आसमान छूने निकली थी पटक के धूल कर दिया

तुम आए और हमको प्लेटफॉर्म कर गए हम इंतजार करते रहे और खुद किसी रेल से गुजर गए

यादों में कैद है बचपन मेरा अब तो नयापन भी पुराना लगता है

पाप को ही जीतते देखा है पुण्य तो मर मर के जीता है


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