Aishwarya Namdev
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"आज फिर हमें तुम्हारी याद आई है और लिखने को हमने अपनी डायरी उठाई है पर क्या करे इस कलम कमबख्त का जब भी तुम्हारे नाम पर आई है इसने अपनी रुसवाई दिखाई है "

"आज फिर हमें तुम्हारी याद आई है और लिखने को हमने अपनी डायरी उठाई है पर क्या करे इस कलम कमबख्त का जब भी तुम्हारे नाम पर आई है इसने अपनी रुसवाई दिखाई है "

"दिल पत्थर का तो नहीं था पर उसे बना दिया गया दिन वेलेंटाइन था और हमें याद दिलाया गया "


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