सरलता, सहनशीलता,साहस ही संकट के समय को सहज बनाने का सामर्थ्य रखते हैं और इन गुणों का आधार धैर्य होता हैं और धैर्य बधीर होने के लिए बाध्य होता है,, नहीं तो हृदय में रहना उसके लिए बड़ा मुश्किल हो जाता है।
मूर्ख बोले जोर से, ज्ञानी बोले शोर से, अंतर है बस इतना शोर अंतर्मन का द्वंद्व है, जोर दिखावें का बस एक तंत्र है।
मनुष्य की इच्छा शक्ति से बढ़कर संसार में अन्य औषधि नहीं प्रयत्नों की प्रमुखता यही असफलता के दायरों में ये सीमटती नहीं।