फासले दिलों के बीच दुरियां पैदा नहीं कर देता,
जितना की चुप्पी कर देता है।
किताब से भरे बाजार में से सोचा चुनूं एक किताब ख़ुद के लिए,
तनहा बैठ के कहीं छुपाऊं गमों को मेरे,
जिंदगी तो इस किताब की तरह है,
किताबों की पन्नें तो खतम हो जाएंगे,
पर इस दिल के ग़म कम नहीं होंगे मेरे।
हमारी मोहब्बत ख़ुदा को कुबूल है
मोहब्बत में मिलें दर्द हमें कुबूल है
मोहब्बत में फ़ना होना हमें कुबूल है
किसी के नज़र में अगर ये गुनाह है
तो हमें ये गुनाह कुबूल है।