Ravi Kushwaha
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मनुष्य को जब उसकी अपेक्षा से अधिक मिलने लग जाता है तो वह मति-भ्रष्ट होने लगता है, जिससे वह हर अन-अपेक्षित वस्तु पर भी अपना अधिकार समझने लगता है।

लोग हमेशा भीड़ से हटकर कुछ अलग करना चाहते हैं। इसीलिए भीड़ से हटकर जिसने भी कुछ अलग किया, एक हुजूम उसके साथ हो गया। कई नाम इसी वजह से मशहूर हुए वरना वे भी तो लोग ही थे।

घृणा और नफ़रत दोनों ही दो अलग-अलग चीजें हैं। हम गन्दे नाली के कीचड़ से घृणा करते हैं तो उसे हमारे ऊपर फेंकने वाले से नफ़रत।

मनुष्य को जब उसकी अपेक्षा से अधिक मिलने लग जाता है तो वह मति-भ्रष्ट होने लगता है, जिससे वह हर अन-अपेक्षित वस्तु पर भी अपना अधिकार समझने लगता है।

मनुष्य का स्वयं का कोई व्यवहार नहीं होता, यह सिर्फ दूसरों के प्रति ही होता है। यदि बुरे व्यवहार वाला कोई व्यक्ति भले ही अच्छा बनने की कोशिश कर रहा हो या फिर अच्छे व्यवहार वाला हाल ही में बना हो तो भी आप उसे नापसंद करेंगे क्योंकि आप उसके बुरे व्यवहार से परिचित हैं।


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