Niharika Singh (अद्विका)
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I started writing Poems and short scripts as well as stories in 2008 & just followed my heart and kept writing in bits and pieces. Its time to take this to next level. I just always need your love and support.... :)

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रूह बेताब है, मोहब्बत का दीदार करने को मेरे ग़ुलाब को तलब एक गुलाब की जो हुई । निहारिका सिंह (अद्विका)

कच्ची उम्र के उफानो में बह जाए वो इश्क़ ही क्या, झुर्रियों में भी खिलखिलाए वो इश्क़ कमाल होता है... 💕अद्विका 💖

सिद्दत ए इश्क नही देखता महबूब पत्थर है या कोहिनूर है... गर इश्क इश्क है तो हर हाल में मंजूर है... 💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕 निहारिका सिंह (अद्विका)

इश्क के फ़साने की अजीब हैं कहानी, मिलेे तो रूहानी नहीं तो हैं रूह जानी.... निहारिका सिंह (अद्विका) ******************************************

शब्द ख़ामोश थे भाव मरने लगे, गीत लगने लगे थे अजनबी की तरह... बहुत अँधेरे में थी ये मेरी जिंदगीे, सखा फिर तुम मिलें रौशनी की तरह... निहारिका सिंह(अद्विका)

सहमी हुई है झोंपड़ी पानी के ख़ौफ़ से, महलों की आरज़ू है की बरसात तेज़ हो... निहारिका सिंह


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