रूह बेताब है, मोहब्बत का दीदार करने को मेरे ग़ुलाब को तलब एक गुलाब की जो हुई । निहारिका सिंह (अद्विका)
कच्ची उम्र के उफानो में बह जाए वो इश्क़ ही क्या, झुर्रियों में भी खिलखिलाए वो इश्क़ कमाल होता है... 💕अद्विका 💖
सिद्दत ए इश्क नही देखता महबूब पत्थर है या कोहिनूर है... गर इश्क इश्क है तो हर हाल में मंजूर है... 💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕 निहारिका सिंह (अद्विका)
इश्क के फ़साने की अजीब हैं कहानी, मिलेे तो रूहानी नहीं तो हैं रूह जानी.... निहारिका सिंह (अद्विका) ******************************************
शब्द ख़ामोश थे भाव मरने लगे, गीत लगने लगे थे अजनबी की तरह... बहुत अँधेरे में थी ये मेरी जिंदगीे, सखा फिर तुम मिलें रौशनी की तरह... निहारिका सिंह(अद्विका)