खुशियों ने दी है आज फिर से दस्तक,
क्योंकि कैद में है नफरत और मुस्कुरा
रही है दिलो में मोहब्बत।
इतरा रहे है खिलकर ये फूल सुगन्धित,
क्योंकि आज नहीं किए जा रहे ये किसी
के चरणों में अर्पित।
चारों तरफ़ गूंजी उजियारे की चाहत,
क्योंकि आज नहीं किसी डर की आहट