I'm Prachi and I love to read StoryMirror contents.
तन्हाई है मंज़िल मेरी, रास्ता है ख़ामोश सा, बस चली जा रही हूँ अनजान मुसाफ़िर सी जीवन खानाबदोश सा!!!
जानी पहचानी राहें अब नहीं भरमाती मुझे अनजान सफर का आकर्षण ही कुछ और है!!!
परवाह मंज़िल की करो, सफर की नहीं!!