मानता हूँ, कि काबिल नहीं पर जिम्मेदार हूँ,
किसी का एहसान रखना भी मेरे वसूल के खिलाफ है।
कभी अपने इश्क़ की नुमाइश करने की कोशिश न करना,
बाजार में खरीददार उसके भी मोल लगा देते है।
आसान है किसी रिश्ते को एक पल में तोड़ देना,
मुश्किल तो सीढ़ियों को चढ़ने में होती है।
इश्क़ में जलने की कोई दवा नहीं होती,
जो दिल में बसते है उनकी वजह नहीं होती।
तपिश की ख़लिश अक्सर दरीबे में दिख जाती है,
दरीचे से अक्सर पुराने दिन याद आते है।
मंजिलों को देखकर ऊँचाइयाँ नापता रहा,
हर दिन अपना कद खुद कम करता रहा।
मैं रोज पढ़ता हूँ किताबें लेकिन भूल जाता हूँ,
जिंदगी के सिखाये गुर कभी भूलते नही।
मैं रोज पढ़ता हूँ किताबें लेकिन भूल जाता हूँ,
जिंदगी के सिखाये गुर कभी भूलते नही।
"केवल १४ सितंबर को नही हमे ३६५ दिन हिंदी दिवस मनाना चाहिए।"