Sometimes I am busy in arranging the words lost in the air and result is in front of you.
तू लिखना कलम से लहू निचोड़कर बस शर्त यह कि जो भी लिखना सच ही लिखना
मेरी शिकायत तुमसे नहीं, सुनकर भी नहीं सुनने वालों से है।
मैं अपनी छत से चाँद नही देख पाता ए शहर तू अभी और क्या क्या छीनेगा