122 122 122 122 बुरा या भला है मगर सिलसिला है मुहब्बत शिखर पे मुखर ये कहर है.. अनामिका वैश्य आईना लखनऊ
22 22 22. 22 22 22 22 2 उसके नामी मैं ताबीज़ कई बाँध हिफाज़त सोंचूं मेरी दिल की उलझन को दो पल में ही सुलझाता है.. #अनामिका_वैश्य_आईना #लखनऊ
22 22 22. 22 22 22 22 2 कोई तो है जो बन के साया साथ दुआ चलता है हरइक मुश्किल में बस इक वो ही रास्ता दिखलाता है.. #अनामिका_वैश्य_आईना #लखनऊ
122 122 122 122 बुरा या भला है मगर सिलसिला है मुहब्बत शिखर पे मुखर ये कहर है.. अनामिका वैश्य आईना लखनऊ
उसे खोने से डरती हूँ जिसे पाया ही नहीं अब तक जग में मिला जाके प्रीत निभाया ही नहीं अब तक हौसला था ही नहीं उसमें लोगों से भिड़ गुजरने का हाँ इश्क़ सच्चा उसे शायद हुआ ही नहीं अब तक.. अनामिका वैश्य आईना लखनऊ