साहित्य समाज का दर्पण है
Share with friendsगिरने के लिए तू न सँभलने की बात कर हर ठोकरों से बचके निकलने की बात कर चलना है गर सफर में रख हौंसलों को साथ मंजिल मिलेगी ख़ुद 'महज़' चलने की बात कर Good morning everyone 🌹♥️😍🌷🌺🥀🍀🌲🌲🍀🥀🌺🌷😍♥️🌹
राह भले हो कठिन पाँव जमाये रखिए हाथ भले हो खाली उसे उठाये रखिए पानी छलनी में भी ठहर सकता है बर्फ बनने तक हौंसला बनाए रखिए tanu
माँ वीणा पाणि को नमन मंच को नमन 🙏🙏 विषय :-मेरी चाह अपनी काबलियत के बल पर अपना एक छोटा सा क्षिति और छोटा सा आसमां चाहती हूँ इस दुनिया से जाने के . पहले अपनी खुद की एक छोटी सी पहचान बनाना चाहती हूँ सबके दिलों में एक सुनहरी याद बनकर रहना चाहती हूँ लोग मेरे जाने के बाद मुझे याद करें एेसा प्यार जगाना चाहती हूँ अपने घर आँगन के लिए तुससी का बिरबा बनकर रहना चाहती हूँ 🙏🙏