Mukesh Shinde
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सुनो ,काफी मुद्दत से मिले हो, शिद्दत से इश्क करने की ज़ुर्रत हो.. -मुकेश..

 क्या हुआ तब उसने थोड़ी बेवफाई की,    बदले में  मेरी कलम कीे वफा दर्ज थी।     थे साथ जब हम दोनो,दरमियाँ शायर न कहलाया शायरी ना अर्ज थी..   मेरे साथ मेरी राते भी तड़पती थी   आँखों में गर्मी ,हवा बस सर्द थी.     -     मुकेश शिंदे...😊


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