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सुकून की तलाश में भटके थे दर-बदर। मुकम्मल हुई कोशिश जब आ गए घर।।
तुमसे मेरा आसमां है तुम ही मेरी जमीं हो। अधूरी हूँ तुम्हारे बिना तुम ही मेरी कमी हो।