इतने चक्कर लगाए उसकी गली के बहाने से
कम्भखत हिल्ली तक नहीं अपने सराने से ..
आशिकों को उसने बारी बारी घर पर अपने बुलाया हैं
लगा जैसे रमज़ान का रोज़ा उसने एक एक कर सबसे खुलवाया हैं ॥
उसने हमें देखा आज फिर भी बुलाया नही
हम भी समझ गए उसका इरादा इसलिए उसको कुछ जताया नहीं ॥
देख कर हमको जो आज हुई परेशान बहुत थी
किसी वक़्त हमसे बात करने को हुई बैचैन बहुत थी
जिन फरिश्तों के इंतज़ार मैं हमने ज़िन्दगी अपनी गवाई हैं
वह महरूम थे कही और ये बात मुझे आज समझ आई हैं
ये जो आई ने के पार हैं वो कौन है
मैं बोलता हूं वो खड़ा मौन है
मिल्कियत का दावा है और रिश्ते पसंद करता योन है
ये मैं नहीं तो मेरी जगह खड़ा कौन है
#अंकित
शमशानो मैं मुर्दे जलते हुए चिंख पुकारते हैं
जिनके घर वाले चले जाते हैं दुख बस वही जान ते हैं
#कोरोना तू ने कितने घर हैं उजाड़े
नीचे हम या ऊपर यम जान ते हैं
If Difficulties coming to u in a "Row"
Trust me u soon going to become a "Pro"
अब सिख भी लेता हूं और सिखा भी देता हूं..
इसी तरह अपना मन बहला भी लेता हूं।
तुम पढ़ भी लेती हो और पढ़ा भी देती हो..
इसी तरह मुझे अक्सर चौट पहुचा भी देती हो..