एक कंजूस अपने बच्चे को पिट रहा था।
पडोसी ने पूछा - क्यों पीट रहे हो।
कंजूस - इसको बोला एक सीढी छोड़कर चल , चप्पल कम घिसघी नालायक 2 सीढी छोड़कर चढ़ा ,पजामा फाड़ दिया।
वो माँ ही थी जो 4 रोटी देकर भी 1 गिनती थी /
और वो भी बाप ही था जो 10 जूते मारकर भी 1 ही गिनता था
तेरे क़दमों में ये सारा जहां होगा एक दिन,
माँ के होठों पे तबस्सुम को सजाने वाले।
चलती फिरती आँखों से अज़ाँ देखी है,
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है।
यूँ तो मैंने बुलन्दियों के हर निशान को छुआ,
जब माँ ने गोद में उठाया तो आसमान को छुआ।
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है
गिन लेती है दिन बगैर मेरे गुजारें हैं कितने
भला कैसे कह दूं कि माँ अनपढ़ है मेरी
One day the World will suddenly love you. When you won't wake up in the Morning
गुस्से में अगर कोई आपसे कुछ बोलता है तो उसे भूलना नहीं चाहिए क्युकी गुस्से में इंसान सच बोलता है