Ritu asooja
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विचारों का बहता प्रवाह जो निरंतर आगे की और अग्रसर है उस प्रवाह को सही दिशा देकर लिखते रहने का प्रयास रहता है ।साहित्य यानि सब के हित में जो सबके हित में हो ऐसा ही कुछ लिखने को निरंतर प्रयासरत कभी-कभी तो लगता है मेरा जन्म ही इसलिए हुआ है और उस पर इंटरनेट का आना मानों हम जैसे लिखने के शौकीनों के... Read more

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भीख मांगने से बेहतर है अपना कर्म करो जो भग्य में होगा वो तो मिल कर रहेगा ,अपने भाग्य विधाता स्वयं बनिए कर्म का बीज बोए हैं तो एक ना एक दिन फसल अवश्य होगी

मेरी यही बात बनाती है मुझे खास मैं कांटों के बीच भी मुस्करा लेता हूं क्योंकि मैं हूं पुष्प ए गुलाब

महकाता हैं जो मेरे जीवन की बगिया हर रोज ऐसे मेरे अपने को क्या दू मैं * रोज़*

जब कर्मो की खुशबू इत्र बनकर वातावरण को महकाए तो समझो आपके कर्म बेहतरीन है

हार हर बार निराशा की ही किरण नहीं अपितु हार आशा की वो किरण भी हो सकती है जो बेहतरीन को अंजाम देने का संकेत होती है ......

सभ्यता वस्त्रों से नहीं आचरण और विचारों में निहित होती है

ऊंचा वही उठता है जिसका आचरण सभ्य होता है

आत्म विश्वास मनुष्य की सबसे बड़ी पूंजी है

वक़्त एक ऐसी चीज है जो लौटकर कभी वापिस नहीं आता वक़्त की कदर करना सीखो


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