मंज़िल को चुनना और उसकी तरफ बढ़ना आसान है। राह में आई मुश्किलों से सबक लेना, असफलता को सीढ़ी बनाना सच्चे योद्धा की पहचान है।। विवेक शर्मा
मंज़िल को चुनना और उसकी तरफ बढ़ना आसान है। राह में आई मुश्किलों से सबक लेना, असफलता को सीढ़ी बनाना सच्चे योद्धा की पहचान है।। विवेक शर्मा
'वक्त की बिसात पर अब खेल थोड़ा अजीब है.. शह (शै) और मात का मामला भी काफी करीब है ' "अपनों से ही हार जाने का ना जाने क्यों जुनून है, वक्त से यहां भी नसीहत लेने का फितूर है " @विवेक शर्मा