madhav jha
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दोस्ती ना सही दुश्मनी ही स्वीकार करो कृष्णा ना सही कर्ण सा ही व्यवहार करो

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बाहर जाकर मजदूरी करने मे तो सिर्फ मौत का भय है घर में रहकर भूखे पेट रहने से तो निश्चित ही मौत तय है

जब भी कभी मैं परेशान होता हूं मां के आंचल तले आराम करता हूं पल में दुख दर्द मुझसे दूर जाती है जब मां मुझको गले से लगाती हैं

पल में दुख दर्द मुझसे दूर जाती है जब मां मुझको गले से लगाती हैं

मोहब्बत जब भी किसी से की जाए कुछ बेवफाओं की भी राय ली जाए

मोहब्बत जब भी किसी से की जाए कुछ बेवफाओं की भी राय ली जाए

पल भर की मुलाकात में अच्छी लगने लगी है वो मोहब्बत करने लगा हूं या कोई जादू कर गई है वो


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