Bhunesh Chaurasia
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उसने कहा प्रेम को तीन शब्दों में व्यक्त कीजिए! मैंने कहा वाह बहुत खूब। © भुवनेश्वर चौरसिया "भुनेश"

ज्ञापन ----------- साईं बाबा के मंदिर की दीवार के ऊपर लिखा था "सबका मालिक एक" एक लेखक वहां से गुजर रहा था उसने लिखी गई पंक्ति के नीचे लिख दिया मजदूर का मालिक अनेक कभी यहां कभी वहां पापी पेट जहां ले जाए । कुछ देर बाद एक पाठक वहां से गुजर रहा था बड़ी तन्मयता से पढ़ा और नीचे लिख दिया सबकुछ ठीक है पर पढ़ने वाले अब कहां है नेक जो सही और सटीक टिप्पणी कर सके। धन्यवाद। © भुवनेश्वर चौरसिया "भुनेश"

यदि इस जीवन में आगे बढ़ना चाहते हो तो चाहे तुम्हारे सामने कितनी ही बाधाएं आए कभी पीछे मुड़कर मत देखो निश्चित है एक दिन सफलता तुम्हारे कदमों में होंगी। © भुवनेश्वर चौरसिया 'भुनेश'

लेखकों को प्रतिस्पर्धा से बचना चाहिए यदि लेखक प्रतियोगिता के लिए लिखता है तब वह रचनाओं के साथ ठीक तरह से न्याय नहीं कर पाते क्योंकि लेखक न तो राजनीतिज्ञ है और न ही विद्यार्थी जो कि या तो चुनाव में भाग लेते हैं अथवा प्रतियोगिता परीक्षा में। *भुनेश*


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