Paramita Sarangi
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खुशियां तो बांट ने के चिज़ है बांट दी ऐ मेरे वतन तेरे सामने शिश झुका कर फिर मेरी झेली खुशियों से भरदी पारमिता षड़ंगी

खुशियों को बांट कर देखा फिर भी झोली भरि हुई है नज़र उठाकर देखा तो तेरे दर पर खड़ी हुई हूं मैं

कुछ इबादतों से बना है घोंसला मेरा अब तुम भी आजाओ देखलो शीशा पता चल जाएगा ,याहाँ तुम्हें सब पेहचानते है ।

पकड़ कर कुछ शब्दों को ले आई तुम्हारे पास बदल गए वे सारे मंत्र में शायद तुम्हारे छू ने के बाद

पकड़ कर कुछ शब्दों को ले आई तुम्हारे पास बदल गए वे सारे मंत्र में शायद तुम्हारे छू ने के बाद

बारिश क्या आ गई मेरे इश्क को पंख लग गए तुम मुझमें तो थे ही अब मैं तुम में समां गईं


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