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अल्फाजों को समेट कर कहाँ जाओगे साहब!
जब भी उनकी याद आएगी अल्फ़ाज़ बिखर ही जाएंगे ।
-रजत-
इधर-उधर के बातों से क्या लेना है तुम्हें
जब निश्चय कर लिया है उसे हासिल करने का तुमनें।
इधर-उधर के बातों से क्या लेना है तुम्हें
जब निश्चय कर लिया है उसे हासिल करने का तुमनें।
इधर-उधर के बातों से क्या लेना है तुम्हें
जब निश्चय कर लिया है उसे हासिल करने का तुमनें।
इधर-उधर के बातों से क्या लेना है तुम्हें
जब निश्चय कर लिया है उसे हासिल करने का तुमनें।
सोचना और सिर्फ सोचते रहना महज एक सोच है वास्तविकता नही लेकिन
सोच कर उसपर अमल करने के बाद जो हासिल होगा उसका कोई मोल नही ।
* रजत *
इधर-उधर के ख़यालों से बेहतर है की खुद के तरक्की पर विचार किया जाय और विचार कर के अमल में लाया जाए...