आने जाने की राह परआशियाने बन रहे हैं हम कहते हैं हम सायाने बन रहे रहे हैं इन्च इन्च धरती अब महंगी हो गई है और ग्रह भी अब निशाने बन रहे है हमे लग रहा है हम सायाने बन रहे हैं ।
जिमेदारीयां बोझ बन चुकी है,हम आज भी अकड़ मै है, लोग फायदा उठा रहे हैं , हमे लगता है हम फर्ज निभा रहे हैं