bhawana Barthwal
Literary Colonel
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औरतें बड़ी स‌‌‌‌‌‌स्ती हो जाती हैं जब वो बहु और पत्नी बनतीं हैं। माँ के घर में तो वो हमेशा अपने को राजकुमारी ही समझतीं हैं।।

औरतें कभी औरतों को नहीं समझती औरतों से औरतों की बात करना फिजूल ही है।

कभी कभी खुद को भी नजर का टिका लगा लेना चाहिए हम औरतों को।

चरित्र ही मूल रूप से इंसान का सर्वोपरि धन है इसका सोच समझकर इस्तेमाल करना चाहिए

क्रोध आना भी कभी कभी जरूरी हो जाता है। क्योंकि लोग शान्त रहने का भी बहुत फायदा उठाते हैं।

तमाशा है ये जग सारा कम कोई नही कोई तमाशा खुद बनता है किसी को बना देती है तमाशा ये जिन्दगी

औरतें औरतों के लिए अच्छी नही होती हैं।

औरत अच्छी है तब जब वो चुप रहती हैं औरतें अच्छी है जब वो परिवार के लोगों के आगे पिछे घूमती हैं।

हां मै एक औरत हूं अपने लिए कम दूसरों के लिए ज्यादा जीती हूं फिर भी पराई ही कहलाती हूं।


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