Priya Gupta
Literary Colonel
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देर से बनो पर जरूर कुछ बनों, क्युंकि लोग वक़्त के साथ, खैरियत नहीं हैसियत पूछते हैं।

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🤔🤔मैं एक मां हूं। धीर गम्भीर ममता भरी पनाह हूं। कष्ट सहती क्योंकि मैं एक मां हूं।। उम्मीद सब ही रखते हैं मुझसे, सभी की उम्मीदें हैं मुझसे लगी। आशा विश्वास पर खरी उतरती, उनकी आशा भी है मेरे से जगी।। स्नेह सागर अथाह हूं, क्योंकि मैं एक मां हूं।। कष्ट सह कर कष्ट होनें ना देती, संतान के लिए जीती मरती हूं।

🙏🏻मेरी माँ 🙏🏻🙏🏻 तुमसे ही मेरा अस्तित्व,माँ तुमसे ही है माँ मेरी जान। हर सुख तेरे से ही मेरा, तुझसे मेरी हर मुस्कान।।

क्या देखना चाहते हो,, वास्तव में कुछ सुन्दर??? तो कभी मेरे जिस्म को छोड़कर, कोशिश करो देखना मन में मेरे उतरकर!!!!

आओ मिल के दो पल सकून के ढूँढ़ लाते है, नही दे सकते साथ, तो चाय की ही मिठास बढ़ाते है।।

दिसंबर का महीना,तेरी यादों का धुंध.. वो चाय की चुस्की और साथ में तुम।।

मिलते-जुलते रहा करो, माना......हैं शिकायतें बहुत तुम्हें जो भी थोड़ा बचा हैं प्यार कभी तो आकर बयां करो, हँसते चेहरे के पीछे कितने गम हैं कभी तो आकर पढ़ा करो।। -priya gupta

मन मेरा एक विचलित चंचल और एक अबूझ पहेली-सा, भीड़ में अकेला और अकेलेपन में भीड़-सा। -priya gupta

मुँह पर कुछ और पीठ पीछे कुछ और कहने वालों से मीटर नहीं किलोमीटरों का सोशियल डिस्टेंस रखिए,  ऐसे लोग कोरोना के भी बाप हैं

मिलते-जुलते रहा करो, माना......हैं शिकायतें बहुत तुम्हें जो भी थोड़ा बचा हैं प्यार कभी तो आकर बयां करो, हँसते चेहरे के पीछे कितने गम हैं कभी तो आकर पढ़ा करो।।


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