पलाश
पलाश खिलता बन में
रंग लाल मन में
डाल डाल पर बसंत आया
फूल फूल पर मन लहराय
हसीन चित्र वादीयों का
रूप निखरता पलाश का
कवि अनिल
मेघ आले भरून
मन गेले मोहरून
सुखाच्या सरी बरसू दे
आनंद सर्वत्र पसरू दे
अनिल पंडित
वक्त कभी रुकता नही
वक्त कभी झुकता नही
वक्त की कद्र करो
तो फिर क्या मिलता नही
अनिल पंडित