Anurag Negi
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मैं वो नशा नही करता जो वक़्त के साथ उतर जाये, मैं वो नशा करता हूँ जो वक़्त के साथ और बढ़े । : अनुराग नेगी

हसरतें पूरी हो ना हो पर ख्वाब देखना कोई गुनाह तो नही ।

हे ईश्वर, बाँधा था जो मन्नत का धागा तेरी चोखट पर, उस धागे की उसे भी याद दिला या उस बंधन से मुझे भी मुक्त करा। : अनुराग नेगी

है नामुमकिन सा ही मगर पाना तुझे ही चाहता हूँ । -अनुराग नेगी

हैरान है आसमां भी मेरी प्यास से, मैंने उससे चाँद नही उसका दाग माँगा है ।

वो अक्सर कहती थी क्यो माँगते हो मुझसे तस्वीरे मेरी, एक दिन इन्हीं तस्वीरों से तुम नफरत करने लगोगे ।


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