मैं अदम से भी परे हूँ वर्ना ग़ाफ़िल बार-हा मेरी आह-ए-आतिशीं से बाल-ए-अन्क़ा जल गया
Share with friendsउसकी नीली आँखें देखकर ऐसा लग रहा था ! मानो वो देवलोक की कोई अप्सरा हो! समय जैसे एक पल के लिए उसकी आँखों में ठहर सा गया था! शायद इन नीली आँखों का अस्तित्व प्रकृति के उन तमाम रंगों से होता है जहाँ से विज्ञानिक लोग अपनी खोज को निर्धारित करते है! imran khan