Poet , writer , narrator , & studying Engineering at Gavali Collage Satara ...
माँ को माँ कुछदिन और बाप को बाबा केहणे दो ,, अरे ओ बच्ची है उसे बच्ची रेहने दो ...
" लढती - झगडती - बगावत करती अपने बच्चो के लिये पती के जुल्मने उसे आवारा बना दिया था,, कभी चख कर देखी उसकी सब्जी मैने आखो से बेहते अश्कोने उसे खारा बना दिया था ..."