मीना मल्लवरपु ने बचपन से ही ख़ुद को शिक्षिका के रूप में देखा और ज़िंदगी ने उनके इस ख़्वाब को पूरा किया! मातृ भाषा तेलुगु है,मगर शिमला और दिल्ली में शिक्षा पाई। दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी और बैंगलौर विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में MA की डिग्री हासिल की और बैंगलोर के एक महिला कालेज में... Read more
Share with friendsइत्तेफ़ाक़ ही था जो तुमसे मिली इत्तेफ़ाक़,तुमसे बिछुड़ गई इत्तेफ़ाक़ था तर्क भी इत्तेफ़ाक बहाना भी इत्तेफ़ाक़ का दिया हवाला निकल गए रुसवाई के चंगुल से!
शुक्रगुज़ार हों हम उन नेमतों की लगी है जिनकी बौछार क्यों हो कर मायूस बेजार भुला देते हैं कीमत उन नेमतों की
किस्मत वाले हैं वह जो निकल पड़े इन तन्हा राहों पर पड़े नहीं जिनके पावों में छाले दिल हुआ न छलनी पहुंच गए उस मंज़िल पर जहां से हर मंज़र लगे भला!
नाकामियों का मेरी ,सिलसिला न पूछो कर देती हैं ख़ामोश मुझे ख़ामोशियों की दास्तां न पूछो कर देंगी ख़ामोश तुझे