Meena Mallavarapu
Literary General
339
Posts
4
Followers
3
Following

मीना मल्लवरपु ने बचपन से ही ख़ुद को शिक्षिका के रूप में देखा और ज़िंदगी ने उनके इस ख़्वाब को पूरा किया! मातृ भाषा तेलुगु है,मगर शिमला और दिल्ली में शिक्षा पाई। दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी और बैंगलौर विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में MA की डिग्री हासिल की और बैंगलोर के एक महिला कालेज में... Read more

Share with friends
Earned badges
See all

फ़ासले दबे पांव आते हैं और वापिस नहीं जाते हैं

इत्तेफ़ाक़ ही था जो तुमसे मिली  इत्तेफ़ाक़,तुमसे बिछुड़ गई इत्तेफ़ाक़ था तर्क भी इत्तेफ़ाक बहाना भी    इत्तेफ़ाक़ का दिया हवाला     निकल गए रुसवाई के चंगुल से!

शुक्रगुज़ार हों  हम उन नेमतों की लगी है जिनकी बौछार क्यों हो कर मायूस बेजार भुला देते हैं कीमत उन नेमतों की

अहसान फ़रामोश मैं नहीं मानती हूं अहसान तेरा दिखाई राह ,सिखाए सबक कि जीना है मुमकिन तेरे बिना

किस्मत वाले हैं वह जो निकल पड़े इन तन्हा राहों पर पड़े नहीं जिनके पावों में छाले दिल हुआ न छलनी पहुंच गए उस मंज़िल पर जहां से हर मंज़र लगे भला!

नाकामियों का मेरी ,सिलसिला न पूछो कर देती हैं ख़ामोश मुझे ख़ामोशियों की दास्तां न पूछो कर देंगी ख़ामोश तुझे

सुनते तो हैं आह मगर पीड़ा का संचार कहां आह किसी की सुन क्यों नहीं बढ़ता करुणामय वह हाथ कहां गया वह सिद्धार्थ


Feed

Library

Write

Notification
Profile