"हृदय तथा बुद्धि का एक हो जाने पर साधना पूर्ण होती है"
-इंदु प्रभा गढ़वाल
“मिले सुख को पहचानना भी एक कला है |”
जानने के बाद ही
“मुस्कान सृष्टि की अनमोल निधि है |”
मिलती है
“भाषा की चरम सीमा मौन है |”
के ज्ञान से
“आत्म केंद्रित होने पर होने पर सफलता स्वयं चलकर आती है |”