अपनी आन्तरिक विचारों को लोगों तक पहुँचाने का सबसे सुन्दर और प्रभावशाली माध्यम-लेखिनी है।
Share with friendsइत्तेफाक़ से तन्हाई ने,एक दफा़ तन्हाई से कहा , तू मेरा साथ क्यूं नहीं छोड़ती बड़ी खामोशी़ से जवाब मिला मेरा सिवा है ही कौन जिसने तेरे साथ वफ़ा इतनी सिद्दत़ से निभायी हो।
हमें जिससे उम्मीद रहती है वह बहुत दूर तक हमारा साथ देगा, सबसे पहले साथ छोड़ने वाला वही होता है......
सोचा एक रोज अपने जख्मों का हिसाब, हम तुमसे जरूर लेंगे, लेकिन दिल वह दिन , कभी ना आने की दुआं मांग बैठा!
कैसे काबू करूं अपने जज्बातों को तेरे सामने होने पर, कमबख्त ये बड़ी बेपरवाही से अपनी अपनी हद भूल जाते हैं.....